बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
अथवा
निराला के काव्य सौन्दर्य का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
निराला का काव्य-सौन्दर्य - सौन्दर्य काव्य का मूल विधायक तत्व है और काव्य उसी सात्वना का एक प्रशस्त एवं विश्वस्त मार्ग है। सौन्दर्यहीन कविता की साधना वास्तव में शिव-साधना से अधिक कोई महत्व नहीं रखती। प्रत्येक कवि किसी न किसी रीति से अपने काव्य में सौन्दर्य की आराधना करता है। निराला की काव्य-सौन्दर्यांभिव्यक्ति का विवेचन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है -
(1) प्रकृति का सौन्दर्य,
(2) नारी का सौन्दर्य,
(3) भावों का सौन्दर्य।
1. प्रकृति का सौन्दर्य - निराला जी ने अपने काव्यगत एवं भावों को मण्डित करने के लिए प्रकृति के सौन्दर्य की खूब जी खोलकर अभिव्यक्ति की है। फलतः निराला द्वारा अभिव्यक्त प्रकृति-सौन्दर्य को दो शीर्षकों के अन्तर्गत रखा जा सकता है -
(क) शुद्ध प्रकृति चित्रण,
(ख) भावों के परिवेश में प्रकृति चित्रण।
शुद्ध प्रकृति चित्रण के रूप में निराला ने अनेक गीतों की सृष्टि की है। उदाहरण के लिए सन्ध्या- सुन्दरी, बसन्त आया, अस्ताचल रवि, रवि गये ऊपर पार तरंगों के प्रति आये घन पावस के, प्रपात के प्रति जलाशय किनारे कुहरी थी, आदि गीत लिए जा सकते हैं।
'सन्ध्या-सुन्दरी' में सायंकालीन प्रकृति का बड़ा ही मनोरम चित्रण हुआ है। सन्ध्या पर सुन्दरी का आरोप होने के कारण यह मनोरमता और भी अधिक बढ़ गई है। प्रकृति-सौन्दर्य का यह काव्यात्मक चित्र निराला की हिन्दी साहित्य को अमर देन है -
'दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से उतरी है
वह संन्ध्या सुन्दरी परी सी
धीरे-धीरे धीरे
तिमिराँचल चंचलता का नहीं कहीं आभास
मधुर मधुर हैं दोनों उसके अधर-
किन्तु जरा गंभीर नहीं है उनमें हास- विलास
'बसन्त आया' में बसन्त के आगमन पर प्रकृति की जो शोभा होती है, उसका चित्रण किया गया है, जो अत्यधिक मनहारी वन में पड़ा है। एक उदाहरण प्रस्तुत है.
'सखि ! बसन्त आया।
भरा हर्ष वन के मन नवोत्कर्ष छाया
किसलय वसना नव-वय- लतिका
मिली मधुर प्रिय उर तरु- पतिका
मधुप-वृन्द बन्दी-
पिक-स्वर नभ सरसाया।
'अस्ताचल रवि' अस्त होते हुए रवि की शोभा का वर्णन है, जो अत्यधिक सजीव एवं मनभावन है। एक उदाहरण देखें -
अस्ताचल रवि, जल छलछल छवि
स्तब्ध विश्वकवि जीवन जन्मन
मन्द पवन बहती सुधी रह-रह,
परिमल की यह कथा पुरातन।
ध्यातव्य है कि कवि का यह गीत रहस्यात्मक भी माना जाता है। अतः कहा जा सकता है कि प्रकृति कवि की रहस्य साधना में भी सहायक रही है। प्रस्तुत कविता में जो चित्र हैं जब सायंकाल में सूर्य छिपता है तो उसकी किरणें चंचल जल में किस प्रकार अपूर्व शोभा की सृष्टि करती हैं, कवि उसके सौन्दर्य पर भाव विभोर हो जाता है और धीरे-धीरे बहने वाली पवन तो गत सुन्दर सुधों को नवीन बना देता है। कितना यथार्थ और भावपूर्ण चित्रण है यह सायंकालीन अस्त होते हुए रवि का।
संध्या के समय जब सूर्य छिप जाता है तो श्रमिक अपने घरों को लौटने लगते हैं, पवन धीरे-धीरे बहने लगती है, जिसके स्पर्श से संकुचित जूही की कली खिल जाती है और सुवसना प्रिय भवन दीप जलाकर आरती उतारने लगती है। यह काल और इसमें घटित होने वाली ये क्रियाएँ बड़ी ही सुहावनी लगती हैं। 'रवि ऊपर पार' में निराला ने इसी वातावरण की और इसमें होने वाली इन्हीं क्रियाओं की अभिव्यक्ति की है। यह अभिव्यक्ति तरल सरल होने के साथ सजल भी है और नितान्त स्वाभाविक भी। इसी कारण इसे निराला की बेजोड़ रचना स्वीकारा जाता है। एक उदाहरण प्रस्तुत है -
'देकर अन्तिम एक रवि गये ऊपर पार;
श्रमित-चरण लौटे गृहि जन निज निज द्वार।
अम्बर- पथ से मन्थर संध्या श्याम
उत्तम रही पृथ्वी पर कोमल-पद- भार
मन्द मन्द बही पवन खुल गयी जुही
अंजलि-कल विनत नवल पद-तल उपहार।
सुवसना उठी प्रिय प्रानत नयना
भवन दीप जला रही आरती उतार !
'तरंगों के प्रति' में कवि ने उठती फरती तरंगों का बड़ा ही भावपूर्ण वर्णन किया है। तरंगों के सजल सुन्दरी के रूप में मानवीकृत रूप का एक उदाहरण प्रस्तुत है -
'किस अनंत का नीला अंचल हिला-हिलाकर
आती हो सजी मंडलाकर?
एक रागिनी में अपना स्वर मिला मिलाकर
गाती हो ये कैसे गीत उदार?
सोह रहा है हरा क्षीण कटि में अम्बर- शैवाल
गाती आन आप देती हो ललित करों के ताल।
'आये घन पावस के' में कवि ने वर्षा ऋतु में घिर आने वाले मेघों और वनजन्य वातावरण का बड़ा सुन्दर चित्रण किया है -
'अलि ! फिर आये घन पावस के।
लख, ये काले-काले बादल
नील सिन्धु में खुले कमल-दल
हरित ज्योति चपला अति चंचल
सौरभ के रस के
निर्झर जब झरते हैं तो उनकी शोभा अत्यन्त मनोहर होती है। उनका उज्ज्वल झरता हुआ जल बड़ा प्रिय लगता है। उसे झरना है, अतः वह तो झरता ही रहेगा और कवि विभोर होता ही रहेगा। विभोर होकर यदि वह उससे जिज्ञासावश कुछ पूछने लगे तो क्या आश्चर्य। यह बाल-सुलभ प्रश्नवाचक आश्चर्य देखिए -
'अचल के चंचल क्षुद्र प्रपात !
मचलते हुए निकल आते हैं,
उज्ज्वल। घन-वन अन्धकार के साथ
खेलते हो क्यों? क्या पाते हो?
अन्धकार का इतना प्यार
क्या जाने यह बालक का अविचार
बुद्ध का या कि साम्य व्यवहार।
'जलाशय किनारे कुहरी थी में कवि ने प्रातःकाल का वर्णन किया है। यह वर्णन क्रमबद्ध है और मन पर विविध प्रतिबिम्बों को अंकित करता हुआ अपना अमिट प्रभाव डालता है।
छायावादी काव्य की बिम्ब-योजना का एक प्रमुख उदाहरण देखिए-
'जलाशय के किनारे कुहरी थी,
हरे नीले पत्तों का घेरा था,
पानी पर आम की डाल आई हुई,
गहरे अंधेरे का डेरा था,
किनारे- सुनसान थे जुगुनू के
देल- दमके यहाँ कहाँ चमके,
वन का परिमल लिए मलय बहा,
नारियल के पेड़ हिले तुमसे,
ताड़ खड़े ताक रहे थे सबको,
पपीहा पुकार रहा था, छिपा,
स्यार विचरते थे आराम से,
उजाला सो गया और तारा दिया,
लहरें उठती थीं सरोवर में
तारा चमका था अंतर में।
भावों के परिवेश में प्रकृति का चित्रण मुख्य नहीं गौण होता है। वहाँ पर उसका उदेश्य भावों को सबल एवं सक्षम बनाना होता है। निराला ने भावों को उत्कर्ष बनाने के लिए सहायिका के रूप में भी प्रकृति का चित्रण बहुत किया है। इस प्रकार के चित्रण में अपनत्व का भाव विशेष दर्शनीय है। उसमें आन्तरिक तारल्य तो है ही सही, सहज साकारता और सारूप्य विधान भी दर्शनीय है।
'जूही की कली' में श्रृंगार का बहुत स्पष्ट वर्णन हुआ है। इस कविता में जूही को एक नायिका के रूप में चित्रित किया गया है, जो अपने प्रिय की छेड़खानी से विविध प्रकार के भावों का प्रदर्शन करती है। इसकी माँसल श्रृंगारिकता भी सहज स्वाभाविक होने के साथ-साथ दार्शनिकता से संयत है। इसमें एक स्वाभाविक बहाव और तारतम्य है। अश्लीलता की प्रतीति में अश्लीलता का सहज संयम है। एक उदाहरण देखें -
'निर्दय उस नायक ने
निपट निठुराई की,
कि झोंकों की झाड़ियों से
सुन्दर सुकुमार देह सारी झकझोर डाली,
मसल दिये गोरे कपोल गोल,
चौंक पड़ी युवती,
चकित चितवन निज चारों ओर फेर,
हेर प्यारे को सेज पास
नम्रमुखी हंसी, खिली,
खेल रंग प्यार संग।
2. नारी का सौन्दर्य - सौन्दर्य-क्षेत्र में नारी का महत्व सदैव से असंदिग्ध रहा है। कोई भी ऐसा काव्य नहीं, जिसमें सौन्दर्य का चित्रण तो हो, पर नारी के रूप-वर्णन का अभाव हो। समय-समय पर नारी के सौन्दर्य मापदण्डों में परिवर्तन होता रहा है। एक समय था जब नारी के सौन्दर्य का स्थूल एवं मांसल चित्रण प्रस्तुत करते हुए कवि नारी सौन्दर्य की व्यंजना करते थे। आधुनिक काल में सामाजिक कारणों से कवि को ऐसा करना सम्भव नहीं रहा, फलतः वह नारी सौन्दर्य के सूक्ष्म चित्रों का विधान अपने काव्य में करने लगे। निराला का नारी सौन्दर्य इसी विधान के अन्तर्गत आता है। इस चित्रण में अब वासनादग्ध उच्छ्वास नहीं रह गये, बल्कि सहज आन्तरिकताओं का स्फुरण अधिक हुआ है। उस स्फुरण में पावनता तो है ही, सहज स्नेह और अपनत्व का भाव भी है। 'प्रयसी' नामक कविता में नारी के रूप का इस प्रकार चित्रण किया गया है
'घेर अंग अंग को
लहरी तरंग वह प्रथम तारुण्य की,
ज्योतिर्मयि लता-सी हुई मैं तत्काल
घेर निज तरु-तन।
खिले नव पुष्प जग प्रथम सुगंध के,
प्रथम बसन्त में गुच्छ - गुच्छ।
दृगों को रंग नई प्रथम प्रणय-रश्मि-
खूर्ण हो विच्छुरित
विश्व - ऐश्वर्य को स्फुरित करती है रही
बहु रंग-भाव भर
शिशिर ज्यों पत्र पर कनक-प्रभात के
किरण-सम्पात से
इन पंक्तियों में मुग्धा नायिका का वर्णन है, जो अत्यन्त सूक्ष्म विधानों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। इसकी सूक्ष्मता का बोध तब और अधिक स्पष्ट हो जाता है, जब हम बिहारी के निम्नलिखित दोहे से इसकी तुलना करते हैं-
'अपने कुल के जानकर, जीवन नृपति प्रवीन।
स्तन मन नैन नितब क्रो, बड़ौ इजाफा कीना।
कहने का भाव यह है कि निराला ने नारी सौन्दर्य के जिन चित्रों को अंकित किया है, वे सूक्ष्म और सूक्ष्मतर हैं। वे परम पावन और श्लील हैं। असंयमित वासना वेग वहाँ कतई नहीं मिलते। अपनी सूक्ष्मता के कारण ये अपनी पुत्री सरोज के सौन्दर्य-चित्रण में सफल हो सके हैं जो हिन्दी साहित्य में विलक्षण देन है -
धीरे-धीरे फिर बढ़ा चरण, बाल्य की कीर्तियों का प्रांगण
कर पार कुंज तारुण्य सुधर, आई लावण्य भार धर कर
कांपा कोमलता पर सस्वर, ज्यों मालकोश नव वीणा पर
'राम की शक्ति-पूजा' में सीता के सौन्दर्य-चित्रण में भी कवि ने इसी प्रकार के संयम और पवित्र प्रतीकों का सहारा लिया है
'ज्योतिः प्रपात स्वर्गीय ज्ञान प्रथम स्वीय
जानकी नयन कमनीय प्रथम कम्पन तुरीय।
संक्षेप में कह सकते हैं कि नारी सौन्दर्य के चित्रण में निराला ने प्रतीकात्मकता तथा संकेतात्मक भाषा का प्रयोग करके सूक्ष्मता का परिचय दिया है।
3. भावों का सौन्दर्य - काव्य विविध भावों का आगार है। कवि के सारे प्रयत्न अपने प्रतिपाद्य भावों को सौन्दर्यपूर्ण बनाने के लिए ही होते हैं। भावों के सौन्दर्य से तात्पर्य है भावों की समुचित संयोजना, जिनमें श्रोता अथवा पाठकों के मानस चमत्कृत होते हैं। निराला का सम्पूर्ण काव्य भाव- सौन्दर्य से मंडित है। विविध भावों को औचित्यपूर्ण रीति से व्यक्त करने की निराला में अपूर्व क्षमता है। वे बिखरे और ही व्यक्तित्व को भी इसी कारण अपूर्ण गौरव से मंडित कर देते हैं। 'विधवा' कविता की आरम्भिक पंक्तियाँ इस बात का ज्वलन्त उदाहरण हैं। यथा-
वह इष्टदेव के मन्दिर की पूजा सी
वह दीप शिखा सी शान्त, भाव में लीन,
वह क्रूर काल ताण्डव सी स्मृति रेखा सी
वह टूटे तरु की छटी लता-दीन
दलित भारत की ही विधवा
इन पंक्तियों में विविध औचित्यपूर्ण उपमानों का प्रयोग करके निराला ने विधवा के वैधव्य-जनित दुःख को साकार कर दिया है।
भावों के अनुकूल शब्द-योजना करने में निराला पूर्णतया सिद्धहस्त हैं। जैसे भाव होंगे, वैसे ही शब्द योजना होगी। हनुमान का रौद्र रूप चित्रित करने के लिए यदि इन्होंने ओजपूर्ण शब्दों की योजना की है तो बसन्त श्री का चित्रण करने के लिए कोमल शब्दों की -
'लता मुकुद हार गन्ध भार-भर,
वही पवन मन्द मन्दतर,
जागी नयनों में बन-यौवन की माया।'
भाव- सौन्दर्य के साथ-साथ निराला के काव्य का शिल्प-सौन्दर्य भी छन्द, ताल, लय, गेयता, नाद- सौन्दर्य, अलंकार योजना आदि सभी दृष्टियों से उत्तम है।
अतः कह सकते हैं कि निराला काव्य में सौन्दर्य की पूर्ण सफलता और प्रभावोत्पादकता के साथ अभिव्यक्ति हुई है।
|
- अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
- प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
- प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
- प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
- अध्याय - 4 भूषण
- प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
- प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
- अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
- प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
- अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
- अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
- प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
- अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
- प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
- प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
- प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
- प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
- प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
- प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
- प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
- प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
- प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
- प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
- प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
- अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
- प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
- प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
- प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
- प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
- प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
- प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 21 कवि प्रदीप
- प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
- प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
- प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
- अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
- अध्याय - 23 प्रेम धवन
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
- अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
- प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
- प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
- अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
- प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
- अध्याय - 26 गुलशन बावरा
- प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
- अध्याय - 27 इन्दीवर
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
- अध्याय - 28 प्रसून जोशी
- प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?